RAM kya hai or kaise kaam karti hai: अगर आप Computer का इस्तेमाल करते है, तो आपने RAM के बारे में सुना ही होगा और यह भी सुना होगा कि RAM क्यो किसी भी computer या mobile को चलाने के लिए जरूरी है। फिलहाल तो अभी ऐसा कोई भी computer नही है, जिसमे RAM की उपस्तिथि न हो, यदि किसी भी प्रकार का commuter है चाहे वो छोटा हो या फिर बड़ा उसमे RAM मौजूद जरूर होता है क्योंकि जो भी function computer करता है उसका primary instruction सबसे पहले RAM के पास ही जाता है और वो उस data को temporary अपने पास store करके रखता है। इसलिए आपके computer या mobile को fast काम करने के लिए अधिक RAM की जरूरत पड़ती है।

वही अगर आपके computer या mobile की RAM अगर कम हो, यानी कि उसकी data storage capacity कम हो तो आपका computer और mobile दोनों ही hang होने लग जाते है। क्योंकि प्रतेक instruction को पूरा करने के लिए वो अपने storage capacity के हिसाब से ही data को store करता है और उसको आगे process करने के लिए भेजता है और यदि उसके capacity से ज्यादा यदि data input होने लग गया तो वो उस data को queue में रखेगा और पहले वाले data को पहले process होने के लिए भेजेगा तथा ऐसे अगर data store ज्यादा हो जाता है तो आपका computer और mobile slow work करने लगता है या फिर hang होने लग जाता है।
तो चलिए अब सभी चीज़े विस्तार से जान लेते है कि RAM क्या है और यह कितने तरह के होते है तथा ये काम कैसे करता है।
RAM kya hai तथा RAM ka full form क्या है।
RAM ka full form: “Random Access Memory” होता है। यह किसी भी computer का primary storage space होता है जहाँ data तब तक ही save रहता है जब तक की computer बंद नही होता और एक बार जब computer को फिर से restart कर दिया तो वो data lost हो जाता है। जैसे कि अपने कई बार देखा होगा कि जब आप computer में note pad या फिर Microsoft office में कुछ लिख रहे होते तब, जब कुछ भी लिखा हुआ गलती से मिटा देते है तो आप उसको ctrl+z के द्वारा फिर से reverse कर लेते है!
लेकिन यदि वही आप जब computer को restart कर के करते है तो नही होता है। क्योंकि restart के दौरान RAM में मौजूद data LOST हो चुका होता है। RAM को कई नामो से पुकारा जाता है जैसे कि physical memory, temporary memory या फिर primary memory लेकिन इसका काम एक ही है data को temporary अपने पास save करके रखना।
लेकिन computer में एक और storage device होता है जिससे hard disk या आज कल solid state drive आ गए है वो होते है यह data को permanently save करने के लिए बनाए गए होते है। क्योंकि मान लिजीए अगर आप कोई important काम कर रहे है और light चली जाए ऐसे में आपका data lost हो सकता है तो उससे बचने के लिए secondary storage यानी के HDD या SDD drive दिया गया होता है। जहाँ data को आप अपनी मर्ज़ी से edit या delete कर सकते है।
कई बार RAM की कमी से आपके computer की performance भी खराब हो जाती है खाश कर तब जब आप कोई graphical work करते है जैसे कि Photoshop या फिर video mixing या editing ऐसे में यदि RAM 4GB से कम हो आपके COMPUTER में तो आपका computer hang होने लगता है। और आपको परेशानी होती है इसलिए आपको ऐसे heavy कामों को करने के लिए हमेशा 8gb RAM या फिर 16GB RAM वाले computer का ही इस्तेमाल करना चाहिए।
RAM kaise kaam karti hai और यह computer के लिए क्यों जरूरी है।
जब भी आप computer को on करते है तो सबसे पहले window load होने लगता है और उसके बाद ही आप किसी कार्य को करने के लिए apps को load करते है लेकिन जब भी आप computer को कोई instruction देते है तो वो सबसे पहले RAM के पास store होता है और RAM फिर आगे उस data को PROCESS होने के लिए यानी कि calculate करने के करने लिए Processor के पास भेजता है और processer उस data को process करके फिर से RAM को SEND करता है तब जाकर आपने जो भी input दिया होता है उसका result show होता है।

जैसे कि अब 1 example के द्वारा समझ लेते है। मान लिजीए अपने computer में MS word में ‘1’ type किया तो data आपके screen पर show करने से पहले और input के तुरंत बाद ही RAM के पास जाता है और RAM उस data को process होने के लिए processor के पास send करता है और फिर जब processor उस data को calculate और process करके फिर से RAM को send करता है तब जाकर आपको display पर input word 1 show करता है लेकिन यह काम micro seconds में इतनी तेजी से होता है कि आपको पता भी नही लगता है कि इतना calculation हो भी गया है।
इसी लिए आपको हमेशा ज्यादा memory वाला RAM लेना चाहिए ताकि उसमे अधिक input traffic को संभालने की छमता हो और आपका computer या mobile hang न हो।
Construction of ram:
वैसे तो RAM किसी भी computer का बहुत ही important part होता है। जो कि बहुत सारे capacitor और transistor से मिलकर बना होता है। यह capacitor किसी information को bit की form 0 या 1 में अपने अंदर store करके रखता है तथा transistor एक switch के रूप में कार्य करता है जो कि capacitor को control करता है। तथा जो capacitor charge होता है यानी कि जिसमे power होती है वो 1 की form में होता है और जो discharge होता है वो 0 के form में होता है। तो चलिए अब जान लेते है ये कितने प्रकार के होते है।
RAM कितने प्रकार का होता है।
Static RAM:
- Time in the market: 1990s to present
- Popular products using SRAM: Digital cameras, routers, printers, LCD स्क्रीन्स
SRAM को कार्य करने के लिए एक constant power flow की आवश्यकता होती है। continuous power के कारण, SRAM को stored किए जा रहे डेटा को याद रखने के लिए ‘refresh’ करने की आवश्यकता नहीं होती। यही कारण है कि SRAM को ‘स्टैटिक’ कहा जाता है – डेटा को बरकरार रखने के लिए कोई परिवर्तन या क्रिया (जैसे refresh) की आवश्यकता नहीं है।
हालांकि, SRAM एक अस्थिर मेमोरी है, जिसका अर्थ है, कि स्टोर किए गए सभी डेटा पावर कट होने के बाद delete हो जाते हैं। SRAM (बनाम DRAM) का उपयोग करने के फायदे कम बिजली की खपत और तेज गति हैं। SRAM (बनाम DRAM) का उपयोग करने के नुकसान कम मेमोरी क्षमता और manufacturing की उच्च लागत हैं।
इन विशेषताओं के कारण, SRAM का आमतौर पर उपयोग किया जाता है:
- CPU cache (e।g। L1, L2, L3)
- Hard drive buffer/cache
- Digital-to-analog converters (DACs) on video cards
Dynamic RAM:
- Time in market: 1970s to mid-1990s
- Popular products using DRAM: Video game consoles, networking हार्डवेयर
Dynamic ram: यह static से बिल्कुल विपरीत होता है इसमे आपको बार बार refresh करना पड़ता है ताकि आपका data lose न हो, यदि आप refresh नही करेंगे तो capacitors energy lose करने लगते है और discharge हो जाते है। और जब capacitor discharge ही हो जाएगा तो आपका data भी lose हो जाएगा। इसमे हमेशा बदलाव होता रहता है इसलिए इसे dynamic RAM कहा जाता है।
DRAM भी एक अस्थिर मेमोरी है, इसमें भी स्टोर किए गए सभी डेटा पावर कट होने के बाद delete हो जाते हैं। Dynamic RAM static RAM के मुकाबले सस्ते होते है लेकिन ये energy को ज्यादा use करते है।
- ये बहुत ही सस्ते होते SRAM के मुकाबले।
- इसको बार बार refresh करने की अवर्शकता होती है ताकि power discharge न हो।
- यह बहुत ही slow होता है SRAM के मुकाबले।
- SRAM के मुकाबले DRAM में आपको अधिक मेमोरी क्षमता होती है।
इन विशेषताओं के कारण, SRAM का आमतौर पर उपयोग किया जाता है
- System memory
- Video graphics memory
Synchronous Dynamic RAM (SDRAM)
- Time in market: 1993 to present
- Popular products using SDRAM: Computer memory, video game consoles
SDRAM DRAM का एक वर्गीकरण है का एक वर्गीकरण है जो operates सीपीयू CLOCK के साथ sync करके होता है, जिसका अर्थ है कि यह डेटा इनपुट (जैसे यूजर इंटरफेस) का जवाब देने से पहले CLOCK SIGNAL की प्रतीक्षा करता है। इसके विपरीत, DRAM asynchronous है, जिसका अर्थ है कि यह डेटा इनपुट पर तुरंत प्रतिक्रिया करता है।
लेकिन synchronous operation का लाभ यह है कि एक सीपीयू overlapping instructions को पैरेलल PROCESS कर सकता है, जिसे el पाइपलाइनिंग ’के रूप में भी जाना जाता है – पिछले instruction को पूरी तरह से RESOLVED करने से पहले, नए instruction को RECIEVE और रीड करने की क्षमता होती है।
हालाँकि पाइपलाइनिंग instructions को process करने में लगने वाले समय को affect नहीं करता है, लेकिन यह अधिक निर्देशों को एक साथ पूरा करने की अनुमति देता है। Processing one read and one write instruction per clock cycle results in higher overall CPU transfer/performance rates।
Single Data Rate Synchronous Dynamic RAM (SDR SDRAM)
- Time in market: 1993 to present
SDR SDRAM SDRAM अगर हम इसे अलग अलग पड़े तो यह दो टाइप्स की राम बन जाती है लेकिन यह एक ही है जिसे हम सिंपल SDR SDRAM न कह कर SDRAM ही कहते है। The ‘single data rate’ indicates मेमोरी कैसे PER CLOCK CYCLE में ONE READ AND ONE WRITE इंस्ट्रक्शन को प्रोसेस करती है।
Double Data Rate Synchronous Dynamic RAM (DDR SDRAM)
- Time in market: 2000 to present
- Popular products using DDR SDRAM: Computer memory
DDR SDRAM SDR SDRAM की तरह operates होती है, परन्तु दोगुना तेजी से। DDR SDRAM में इतनी क्षमता होती है की वह two read and two write instructions को per clock cycle में PROCESS कर लेती है । हालांकि function के मामले में यह similar होती है, DDR SDRAM में physical differences ((184 pins and a single notch on the connector) versus SDR सदराम (168 pins and two notches on the connector) हैं। DDR SDRAM एक कम standard voltage (3.3 V से 2.5 V) पर काम करता है।
DDR KYA HOTA HAI:
आपने हमेशा RAM में ddr, ddr2, ddr3, ddr4 में सुना होगा आपके मैन में यह ख्याल जरूर आया होगा की DDR kya hota hai। DDR की फुल फॉर्म होती है DOUBLE DATA RATE, DDR TECHNOLOGY एक cycle में double data को transfer करती है जो पहले SIMPL SDRAM RAM हुआ करती थी वह केबल एक क्लॉक में SINGLE DATA TRANSFER करती थी जिसके कारण वह स्लो ओर ज्यादा पावर खर्च करती थी अब आपको मार्किट में DDR SDRAMs मिलती है।
DDR TECHNOLOGY को समय-समय पर अपग्रेड किया जाता है जिसके चलते आपको, DDR2, DDR3, ओर अब DDR4 RAM देखने को मिल रही है, DDR TECHNOLOGY को अपग्रेड के चलते IN future आपको DDR5, DDR6,।।।7,8 So on RAM देखने को मिलेगी।
CONCLUSION
RAM ka full form की बात करे तो इसे RANDOM ACCESS MEMORY कहते है, जब भी हम कोई डाटा PROCESSOR के पास प्रोसेस करने के लिए भेजते है, तो RAM उसे अपने पास कुछ देर के लिए स्टोर रखती है ताकि प्रोसेसर उसे प्रोसेस कर सके। अब RAM जीतनी फास्ट होगी डाटा भी उतने ही जल्दी वह प्रोसेसर के पास भेज पाएगी और हमारा कंप्यूटर फ़ास्ट वर्क करेगा और RAM की कैपेसिटी जीतनी ज्यादा होगी उतना ज्यादा आप HIGH RESOLUTION DATA PROCESS OR MULTITASKING कर सकते है।
इसलिए आपको RAM की SPEED और उसके CAPACITY यानी साइज के ऊपर ध्यान देने को कहते है। RAM 4 प्रकार की होती है STATIC RAM, DYNAMIC RAM, SDRRAM OR DDR SDRAM। बर्तमान में हम DDR4 SDRAM का प्रयोग का करते है जंहा DDR की FULL FORM है DOUBLE DATA RATE, 4 DENOTE करता है DDR के UPGRADATION को ओर SDRAM की FULL FORM होती है SYNCHRONOUS DYNAMIC RANDOM-ACCESS MEMORY।
दोस्तो आपको यह जानकारी कैसी लगी आप हमें comment में जरूर बताएं और इस जानकारी को आप अपने family और friends के साथ जरूर share करे ताकि उनको भी RAM के बारे मे जानकारी हो सके।